Sunday, 11 March 2012

बड़े काम के हैं संशोधन


संशोधन १

बन सकेगा दो प्लॉट पर एक मकान

टीएनसीपी के अनुसार दो प्लॉटों पर अलग-अलग निर्माण ही किया जा सकता था। अधिनियम की धारा ३० में हुए संशोधन के मुताबिक अब ५०० वर्ग मीटर से कम आकार के दो प्लॉटों का संयुक्तिकरण हो सकेगा । पहले दो प्लॉटों के बीच जगह छोडऩे की बाध्यता थी लेकिन नए नियम के तहत ऐसा करने की भी जरूरत नहीं है।


संशोधन  २.


आसान हो जाएगा लैंड यूज में बदलाव 



 कृषि भूमि को आवासीय या व्यवसायिक उपयोग के लिए बदलना आसान नहीं था। लैंड यूज बदलने के लिए निगम व विकास प्राधिकरण से एनओसी लेना जरूरी था। अधिनियम की धारा २३ (क) में हुए संशोधन के बाद अब निर्धारित शुल्क, जरूरी दस्तावेज देकर लैंडयूज को आसानी से बदला जा सकेगा।

संशोधन   ३. 



लिखत पर नहीं लगेगा रजिस्ट्रेशन शुल्क

विकास प्राधिकरणों से किसी तरह के करार (एग्रीमेंट) के लिए उसकी लिखत (नोटरी) पर पहले शुल्क देना होता था लेकिन संशोधन के बाद अब इस लिखत के लिए रजिस्ट्रीकरण शुल्क के प्रावधान को हटा दिया गया है। इससे जनता को फायदा होगा और अनावश्यक शुल्क नहीं देना होगा।



मध्यप्रदेश नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम १९७३ के मूल अधिनियम में संशोधन किया गया है। इसे अब मध्यप्रदेश नगर तथा ग्राम निवेश (संशोधित) अधिनियम २०११ नाम दिया गया है। इस मूल अधिनियम की धारा 16, 17 (क), २९,३०, ५६ में संशोधन किया गया है। अधिनियम में सेे धारा २४,५४ के नियमों को हटाया गया है। इसी में धारा ५१ की स्थापना की गई और धारा ५६(क), ५६(ख) को भी शामिल किया गया है।
प्रदेश के राज्यपाल ने मध्यप्रदेश नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम २०११ में संशोधन के लिए अनुमति दे दी थी जिसके पश्चात मध्यप्रदेश राजपत्र (असाधारण) में 3 जनवरी २०१२ को इसका प्रकाशन भी कर दिया गया था। अब इसी संशोधित अधिनियम के लिए नियमों का प्रकाशन किया जाना हैे

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